Jharkhand GS अर्थव्यवस्था One Liner

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✳️ आर्थिक नियोजन से अभिप्राय है. राज्य के अभिकरणों द्वारा देश की आर्थिक सम्पदा और सेवाओं की एक निश्चित अवधि हेतु आवश्यकताओं का पूर्वानुमान लगाना।

✳️ वर्ष 1930 की वैश्विक महामंदी के पश्चात् आर्थिक नियोजन की अवधारणा लोकप्रिय हुई। → सोवियत संघ ने पहली बार राष्ट्रीय नियोजन का विचार रखा तथा इसे अपनाया।

✳️भारतीय संविधान में आर्थिक तथा सामाजिक नियोजन का उल्लेख सातवीं अनुसूची की समवर्ती सूची में किया गया है।

✳️1 जनवरी, 2015 में योजना आयोग का नाम परिवर्तित कर नीति आयोग (NITI Aayog) कर दिया गया।

✳️भारत में वर्ष 1978 में जनता पार्टी सरकार द्वारा अनवरत योजना शुरू की गई थी। बजट भी एक वार्षिक वित्तीय विवरण है।

✳️भारतीय नियोजन की पहली रूपरेखा को प्रस्तुत करने का श्रेय लोकप्रिय अभियंता तथा मैसूर प्रांत के पूर्व दीवान एम. विश्वेश्वरैय को जाता है जो उनकी पुस्तक Planned Economy for India में उल्लिखित है।

✳️भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था है। इस प्रकार यहाँ नियोजन पूँजीवादी एवं समाजवादी दोनों प्रकार की अर्थव्यवस्थाओं पर आधारित है।

✳️1950 ई. में योजना आयोग की स्थापना केन्द्र तथा राज्यों के मध्य वित्त के बंटवारे तथा इसकी योजना बनाने हेतु की गई ।

✳️योजना आयोग में एक अध्यक्ष का प्रावधान था। भारत का प्रधानमंत्री योजना आयोग का पदेन अध्यक्ष होता था।

✳️गुलजारी लाल नन्दा योजना आयोग के प्रथम उपाध्यक्ष थे।

✳️प्रथम योजना का कियान्वयन देश को खाद्यान्न संकट से निकालने के उद्देश्य से प्रेरित था अतः इस योजना की मुख्य प्राथमिकता कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता रही। प्रथम योजना हैरॉड डोमर प्लान पर आधारित थी।

✳️द्वितीय पंचवर्षीय योजना, भारतीय सांख्यिकीय कार्यालय, कोलकाता के निर्देशक प्रो. पी. सी. महालनोबिस के मॉडल पर 1 अप्रैल, 1956 को लागू की गई तथा 31 मार्च, 1961 को समाप्त हुई।

✳️इस योजना के दौरान राउरकेला, भिलाई तथा दुर्गापुर में लौह-इस्पात संयंत्र स्थापित किये गय, साथ ही चितरंजन लोकोमोटिव, सिंद्री उर्वरक कारखाना, इंटिग्रल कोच फैक्टरी आदि भी इसी योजना काल के दौरान स्थापित किये गए।

✳️तृतीय पंचवर्षीय योजना (1961-66 ई.) तृतीय पंचवर्षीय योजना मुख्यतः किसी भी आर्थिक मॉडल पर आधारित नहीं थी, परंतु फिर भी इस योजना पर महालनोबिस के चार क्षेत्रीय मॉडल, सुखमय चक्रवर्ती के प्लानिंग मॉडल तथा जे. सैण्डी का डेमोंस्ट्रेशन प्लानिंग मॉडल का प्रभाव देखा जा सकता है।

✳️इसी योजना के अंतर्गत वर्ष 1964 में सोवियत संघ (रूस) के सहयोग से बोकारो (झारखंड) में बोकारो आयरन एवं स्टील कंपनी की स्थापना की गई। 

✳️चतुर्थ पंचवर्षीय योजना (1969-74) ई. चतुर्थ पंचवर्षीय योजना 1 अप्रैल, 1969 को प्रारंभ हुई। यह पंचवर्षीय योजना डी. आर. गाडगिल मॉडल पर आधारित थी। स्थिरता के साथ आर्थिक विकास तथा आत्मनिर्भरता की प्राप्ति इस योजना के केंद्र बिंदु थे।

✳️चौथी पंचवर्षीय योजनावधि में ही वित्तीय समावेशन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए 14 वाणिज्यक बैंकों का राष्ट्रीयकरण एवं रोजगार के अवसरों के सृजन हेतु रोजगार गारण्टी योजना को प्रारंभ किया गया।

✳️वर्ष 1974 में भारत द्वारा भूमिगत नाभिकीय परीक्षण किया गया था।

✳️पांचवी पंचवर्षीय योजना (1974-79 ई.) 1 अप्रैल, 1974 को प्रारंभ इस योजना को जनता सरकार द्वारा एक वर्ष पूर्व ही समाप्त घोषित कर दिया गया था।

✳️इसी योजना के दौरान वर्ष 1975 में 20 सूत्री कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। राष्ट्रीय न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम (वर्ष 1974) और काम के बदले अनाज कार्यक्रम (वर्ष 1977-78) भी इसी योजना में कियान्वित किए गए।

✳️वर्ष 1978 तथा 1980 के मध्य छठी पंचवर्षीय योजना को लागू करने के दो बार प्रयत्न किए गए।

✳️जनता पार्टी सरकार द्वारा शुरू की गई योजना अनवरत योजना भी कहा जाता था।

✳️छठी पंचवर्षीय योजना (1980-85 ई.) यह योजना आगत-निर्गत मॉडल पर आधारित थी और इसका मुख्य उद्देश्य गरीबी उन्मूलन और रोजगार में वृद्धि करना था।

✳️सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985-90 ई.) 9 नवम्बर, 1985 को राष्ट्रीय विकास परिषद द्वारा सातवीं योजना का प्रारूप स्वीकृत किया गया। यह योजना 15 वर्षीय दीर्घावधि परियोजना का एक हिस्सा थी।

✳️यह योजना जॉन डब्ल्यू मिलर मॉडल पर आधारित थी।

✳️आर्थिक संवृद्धि और विकास के मार्ग में बाधक सरकारी नियमों तथा अनावश्यक कानूनी नियंत्रण को कम करना अथवा नियमों को उदार बनाना उदारीकरण कहलाता है।

✳️सरकार द्वारा सार्वजनिक उद्यमों का कुछ भाग अथवा संपूर्ण उद्यम निजी क्षेत्र को बेचकर उस उद्यम के स्वामित्व अथवा प्रबंधन का त्याग करना (विनिवेश) निजीकरण कहलाता है।

✳️किसी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के सार्वजनिक स्वामित्व का बिकी के माध्यम से निजीकरण करना विनिवेश कहलाता है।

✳️किसी एक देश की अर्थव्यवस्था का विश्व की अन्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ जुड़ जाना वैश्वीकरण कहलाता है।

✳️आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-97 ई.) केंद्र में दो वर्षों में राजनीतिक परिवर्तनों के कारण यह योजना

✳️अपने समय से दो वर्ष बाद प्रारंभ हुई। राष्ट्रीय विकास परिषद् ने इस योजना के प्रारूप को 23 मई, 1992 को स्वीकृति प्रदान की।

✳️नौवीं पंचवर्षीय योजना (1997-2002 ई.) इस योजना का मुख्य लक्ष्य न्यायपूर्ण वितरण एवं समानता के साथ विकास करना था।

✳️दसवीं पंचवर्षीय योजना (2002-07 ई.) इसी योजना के आरंभिक वर्षों (2002-2003) में सर्व शिक्षा अभियान की शुरूआत हुई थी।

✳️ ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007-12 ई.) ग्याहरवीं पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य था विकास की गति को तेज करते हुए और अधिक विकास की ओर अग्रसर होना।

✳️भारत सरकार ने 65 वर्ष पुरानी संस्था योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग (राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान, एनआईटीआई) की स्थापना की. इसकी स्थापना 1 जनवरी, 2015 को की गई। यह परिवर्तन प्रधानमंत्री द्वारा स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त 2014) पर की गई घोषणा के अनुरूप था।

✳️उदारवादी अर्थव्यवस्था में पूँजी निवेश उत्पादन के साधनों, उत्पाद के वितरण और धन के विनिमय पर निजी क्षेत्र का नियंत्रण होता है।

✳️पूँजी एवं पूँजीपतियों का बाजार पर नियंत्रण होने के कारण इसे पूँजीवादी अर्थव्यवस्था भी कहा जाता है।

✳️समाजवादी अर्थव्यवस्था में समस्त आर्थिक गतिविधियों का संचालन एवं नियंत्रण सरकार द्वारा किया जाता है।

✳️हम अर्थव्यवस्था में सरकार का मुख्य उद्देश्य लाभ प्राप्त करना नहीं बल्कि लोगों का कल्याण करना होता है।

✳️अविकसित अर्थव्यवस्था उन स्थानों / देशों को अविकसित कहा जाता है जहां तीनों प्रकार के साधनों प्राकृतिक, भौतिक तथा मानवीय में से कोई भी एक नगण्य है।

✳️एक अल्पविकसित या विकासशील देश वह है, जहां एक ओर अप्रयुक्त अथवा अर्द्ध प्रयुक्त मानव शक्ति हो तथा दूसरी ओर अप्रयुक्त प्राकृतिक साधनों की कम या अधिक मात्रा में उपलब्धता पायी जाती है। 

✳️विकसित अर्थव्यवस्था उन स्थानों / देशों को विकसित कहा जाता है, जहां उत्पादन के तीनों संसाधन प्राकृतिक, मानवीय तथा भौतिक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।

✳️ मिश्रित अर्थव्यवस्था के इस स्वरूप में उदारवादी एवं समाजवादी दोनों अर्थव्यवस्थाओं की विशेषताएँ पायी जाती है।

✳️ मिश्रित अर्थव्यवस्था की संकल्पना वर्ष 1929 की महामंदी के कारण उत्पादन आर्थिक समस्यओं के समाधान के रूप में ब्रिटिश अर्थशास्त्री जॉन मेनार्ड कीन्स के विचारों से प्रेरित थी।

✳️बंद अर्थव्यवस्था जो बाह्य अर्थव्यवस्थाओं से किसी भी प्रकार से आर्थिक संबंध नहीं रखती है अर्थात् आयात-निर्यात की गतिविधियां शून्य होती है तथा निजी क्षेत्र की भूमिका नगण्य होती है, उन्हें बंद अर्थव्यवस्था कहते हैं, जैसे उत्तर कोरिया

✳️खुली अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है, जिसका शेष विश्व के साथ आर्थिक संबंध होता है।

✳️प्राथमिक क्षेत्रक अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्रक, जहां प्राकृतिक संसाधनों को उत्पाद के रूप में प्राप्त किया जाता है। अर्थात्, इसके अंतर्गत अर्थव्यवस्था के प्राकृतिक संसाधनों का लेखांकन किया जाता है।

✳️द्वितीयक क्षेत्रक अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्रक जो प्राथमिक क्षेत्रक के उत्पादों को अपनी गतिविधियों में कच्चे माल के रूप में उपयोग करता है, द्वितीयक क्षेत्रक कहलाता है।

✳️तृतीयक या सेवा क्षेत्रक इसमें विभिन्न प्रकार की सेवाएँ प्रदान की जाती है, इसीलिए इस क्षेत्र को सेवा क्षेत्रक भी कहा जाता है।

✳️तृतीयक क्षेत्रक के अन्तर्गत सम्मिलित क्षेत्र

  • 1. परिवहन एवं संचार 
  • 2. बैकिंग 
  • 3. बीमा 
  • 4. भण्डारण 
  • 5. व्यापार 
  • 6. सामुदायिक सेवाएँ

✳️चतुर्थक क्षेत्रक अर्थव्यवस्था के इस क्षेत्रक में बौद्धिक गतिविधियों को शामिल किया जाता है जैसे - सरकार संस्कृति, अनुसंधान, शिक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी।

✳️समाज या अर्थव्यवस्था में उच्च-स्तरीय निर्णय लेने वाले संस्थानों जैसे सरकार विश्वविद्यालय, मीडिया. विज्ञान, गैर-लाभकारी संस्थान आदि को शामिल किया जाता है।

✳️विकास एक बहुआयामी प्रकिया है, जिसके अन्तर्गत विभिन्न सोपानकमों में प्रगति को किसी काल विशेष की आधार बनाकर तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है।

✳️किसी अर्थव्यवस्था में होने वाले गुणात्मक परिवर्तन को आर्थिक विकास कहते है, जिसमें समाजिक मूल्य निहित होते है।

✳️सामान्यतः किसी विशेष क्षेत्र, देश अथवा व्यक्तियों की आर्थिक संवृद्धि में वृद्धि को आर्थिक विकास कहा जाता है।

✳️संवृद्धि का संबंध देश में वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन की क्षमता में वृद्धि से है।

✳️आर्थिक विकास का संबंध लोगों के कल्याण में वृद्धि से है। इससे गरीबी, बेरोजगारी तथा असमानता में कमी आती है।

✳️सकल घरेलू उत्पादन में परिवर्तन की दर आर्थिक विकास दर कहलाती है।

✳️मानव विकास सूचकांक की संकल्पना के विकास में पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब उल हक तथा भारतीय

✳️अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

✳️मानव विकास सूचकांक का मूल्य 0 से 1 के मध्य होता है। जिस देश के सूचकांक का मान जितना अधिक होता है, वह देश मानव विकास सूचकांक की श्रेणी में उतना ही अधिक ऊपर होता है।

✳️मानव निर्धनता सूचकांक की अवधारणा पहली बार वर्ष 1997 की मानव विकास रिपोर्ट में प्रस्तुत की गई थी।

✳️मानव निर्धनता सूचकांक के अंतर्गत दो सूचकांकों की रचना की जाती है। इनमें पहला सूचकांक विकासशील देशों के लिए बनाया जाता है, जिसे HPI 1 कहा जाता है। जबकि दूसरा सूचकांक विकसित देशों के लिए बनाया जाता है, जिसे HPI - 2 कहा जाता है। 

✳️विश्व के अधिकांश देशों की मुद्रा उस देश के केन्द्रीय बैंक द्वारा जारी की जाती है, जैसे-भारतीय मुद्रा,भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी की जाती है।

✳️मुद्रा की उत्पत्ति, विनिमय के सर्वमान्य माध्यम के रूप में हुई।

✳️मुद्रा, विनिमय या भुगतान का माध्यम है। इसके प्रयोग से वस्तु विनिमय में होने वाले अनावश्यक खर्च, समय और श्रम की बचत होती है।

✳️किसी देश में निश्चित समय पर सभी प्रकार की मुद्राओं के कुल योग को मुद्रा की आपूर्ति कहा जाता है। 

✳️अवस्फीति की अवस्था को दर्शाता है। इसके विपरीत यदि चालू वर्ष का सूचकांक 100 से अधिक है तो यह मुद्रास्फीति की स्थिति का संकेतक होता है।

✳️मुद्रा आपूर्ति की दर तथा मुद्रा के मूल्य (कयशक्ति) में व्युत्क्रमानुपाती संबंध होता है)

✳️भारत में मुद्रास्फीति को थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर मापा जाता है। इसका प्रकाशन आर्थिक सलाहकार कार्यालय (वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत) द्वारा किया जाता है।

✳️आधार वर्ष 2004-05 को परिवर्तित कर 2011-12 कर दिया गया है।

✳️रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) भारत का केंद्रीय बैंक है। इसकी स्थापना रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अधिनियम, 1934 के अन्तर्गत 1 अप्रैल, 1935 को 5 करोड़ रूपए की अधिकृत पूँजी के साथ हुई थी।

✳️रिजर्व बैंक एक रूपये के नोट तथा सिक्कों को छोड़कर भारत में अन्य सभी मूल्यों के नोटों तथा सिक्के को जारी करने वाली एक मात्र संस्था है। 

✳️रिजर्व बैंक केंद्र तथा राज्य सरकार के बैंकर, एजेंट एवं उसके वित्तीय सलाहकार के रूप में भी कार्य करता है।

✳️रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों द्वारा निर्मित साख की मात्रा तथा दिशा पर नियंत्रण रखता है। रिजर्व बैंक अपने साख नियंत्रण उपायों के माध्यम से तीन उद्देश्यों विनिमय स्थिरत, मूल्य स्थिरता तथा आर्थिक स्थिरता की पूर्ति करता है।

✳️साख की राशनिंग के अंतर्गत भारतीय रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों द्वारा ऋण देने की अधिकतम सीमाएँ निर्धारित करता है।

✳️साख निर्माण वाणिज्यिक बैंकों के कार्यों में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है। अन्य वित्तीय संस्थाओं की तरह इनका उद्देश्य भी लाभ कमाना होता है।

✳️इंद्रधनुष नाम की इस रणनीति का उद्देश्य चयन प्रकिया में पारदर्शिता लाना, फँसे ऋण (NPA) की मात्रा कम करना और बैंकों का प्रदर्शन सुधारना है।

✳️ऋण के रूप में सूक्ष्म वित्त उपलब्ध कराने वाली संस्थाओं बौर उसकी वित्त प्रणाली का नियमन तथा उसकी सकिय भागीदारी को मजबूत बनाने के साथ उसे स्थिरता प्रदान करना।

✳️सूक्ष्म वित्तीय संस्थाओं सहित अन्य एजेंसियों को वित्त व ऋण गतिविधियों में सहयोग करना।

✳️छोटे कारोबारियों, दुकानदारों, स्वयं-सहायता समूहों आदि को ऋण उपलब्ध करवाते है।

✳️लेकिन, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश का सबसे आम रास्ता स्थानीय कंपनियों को खरीदना और उसके बाद उत्पादन का प्रसार करना है।

✳️अपार संपाद वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों यह आसानी से कर सकती है।

✳️विभिन्न देशों के बीच परस्पर संबंध और तीव्र एकीकरण की प्रकिया ही वैश्वीकरण है।

✳️सरकार द्वारा अवरोधों अथवा प्रतिबंधों को हटाने की प्रकिया उदारीकरण के नाम से जानी जाती है।

✳️भारत में सामाजिक बल के रूप में उपभोक्ता आंदोलन का जन्म, अनैतिक और अनुचित व्यवसाय कार्यों से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता के साथ हुआ।

✳️1960 के दशक में व्यवस्थित रूप में उपभोक्ता आंदोलन का उदय हुआ।

✳️सन् 2005 के अक्टूबर में भारत सरकार ने एक कानून लागू किया जो RTI (राइट टू इनफॉरमेशन) या सूचना पाने का अधिकार के नाम से जाना जाता है।

✳️उपभोक्ताओं को अनुचित सौदेबाजी और शोषण के विरूद्ध क्षतिपूर्ति निवारण का अधिकार है।


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