✳️हमारे चारों ओर नजर आने वाली वस्तुएं जो हमारे लिए उपयोगी है एवं हमारी बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति करती है. संसाधन कहलाती है।
✳️संसाधन शब्द अंगरेजी के Resourse शब्द का हिन्दी रूपांतरण है। यह दो शब्दों Re अर्थात् पुनः तथा Sourse अर्थात् साधन के मिलने से बना है।
✳️पेंटेंट का मतलब किसी विचार अथवा आविष्कार पर व्यक्ति विशेष या संस्था का एक मात्र अधिकार होता है।
✳️किसी कौशल को करने या वस्तु बनाने में नवीनतम ज्ञान का अनुप्रयोग प्रौद्योगिकी कहलाता है।
✳️वैसे संसाधन वास्तविक संसाधन होते हैं, जिनकी मात्रा ज्ञात होती है और जिनका उपयोग वर्तमान समय में किया जा रहा है।
✳️वैसे संसाधन, संभाव्य संसाधन होते हैं, जिनकी मात्रा ज्ञात नहीं है और जिनका उपयोग वर्तमान समय में नहीं किया जा रहा है, लेकिन भविष्य में किया जा सकता है।
✳️कुछ संसाधन ऐसे होते हैं जिसका उपयोग बार-बार किया जाता है, चक्रीय संसाधन कहलाता है. जैसे जल।
✳️मानव संसाधन का अर्थ व्यक्तियों की संख्या के साथ-साथ उनकी मानसिक एवं शारीरिक क्षमता से है।
✳️युवाओं में कौशल विकास हेतु प्रधानमंत्री कौशल कौशल विकास योजना वर्ष 2016 ई. से चलायी गयी।
✳️संसाधनों का उपयोग करने की आवश्यकता और भविष्य भविष्य के लिए उनके संरक्षण में संतुलन बनाए रखना, सततपोषणीय विकास कहलाता है।
✳️संरक्षण के लिए निम्न उपाय किये जाने की आवश्यकता है- वनरोपण, अतिचारण पर रोक, रासायनिक कीटनाशक का कम प्रयोग, उर्वरकों का कम उपयोग।
✳️भूपृष्ठ की ऊपरी पतली परत मृदा कहलाती है. जो पौधों की वृद्धि एवं विकास के लिए माध्यम प्रदान करती है।
✳️ मृदा निर्माण के मुख्य कारक जनक शैल का स्वरूप, जलवायु, स्थलाकृति, जैव पदार्थों की भूमिका तथा मृदा संघटन में लगा समय है।
✳️लाल मिट्टी मिट्टी ज्यादातर दामोदर घाटी एवं राजमहल क्षेत्रों में पाई जाती है। मायकायुक्त मिट्टी :- ये कोडरमा, झुमरी तिलैया, बड़कागांव एवं मंदारपर्वत के आसपास के क्षेत्रों में पाई जाती है।
✳️ बलुई मिट्टी- ये ज्यादातर हजारीबाग एवं धनबाद क्षेत्रों की भूमि में पाई जाती है।
✳️काली मिट्टी - ये राजमहल क्षेत्र में पाई जाती है।
✳️लैटराइट मिट्टी - ये मिट्टी रांची के पश्चिमी हिस्से, पलामू संथाल परगना के कुछ क्षेत्र एवं पश्चिमौ एवं पूर्वी सिंहभूम में पाई जाती है। (मंड) बनाकर एक लबे ढालू स्थानों पर समोच्च (समान ऊँचाई को मिलाने वाली रेखा) रेखाओं पर बाँध बाल को छोटे-छोटे भागो में बदल दिया जाता है, जिसके कारण पानी एक साथ तेजी से कटाव न करके विभिन्न स्थानों पर समाता जाता है।
✳️भूमि के एक टुकडे पर विभिन्न फसलों के कमिक उत्पादन द्वारा मिट्टी की उत्पादकता को बनाये रखा जा सकता है।
✳️अपरदन जिसमें मिट्टी की उपरी सतह बहकर हट जाती है. चादरी अपरदन कहते हैं।
✳️पृथ्वी के पू-पृष्ठ का तीन-चौथाई भाग जल से बैंका है इसलिए इसे जलग्रह कहना उपयुक्त है।
✳️वाष्पीकरण, वर्षण और जलवाह की प्रक्रियाओं द्वारा महासागरों, वायु, भूमि और पुनः महासागरों में चकण द्वारा निरंतर गतिशील है। जिसे जलचक कहते हैं।
✳️जल संरक्षण का तात्पर्य जल के अनावश्यक उपयोग को कम करना, जल स्रोतों को बचाना तथा अपशिष्ट जल का पुनः चक्रण द्वारा उपयोग के लायक बनाना है।
✳️वर्तमान समय में इसे सुरक्षित करने का एक प्रमुख तकनीक वर्षा जल संचयन है।
✳️गौण उत्पाद वनों से सीधे प्राप्त न होकर अप्रत्यक्ष रूप से प्राप्त होते हैं। इस प्रकार के प्रमुख उत्पाद लाह मधु रेशम् केंदू पत्ता आदि है। सदाहरित वन उन्हें उन्हें कहते हैं, जिन यनों के वृक्ष।
✳️नहीं गिरते हैं। वर्ष के किसी भी ऋतु में अपनी पत्तियाँ एक साथ
✳️पर्णपाती वन ऐसे वन हैं, जिनके वृक्ष वाष्पोत्सर्जन से होने वाली जल की हानि को रोकने के लिए किसी
✳️विशेष ऋतु में अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं।
✳️बेतला नेशनल पार्क झारखंड का एक मात्र राष्ट्रीय उद्यात है
✳️जो लातेहार जिला में स्थित है।
✳️भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 में बनाया गया है।
✳️भारत में राष्ट्रीय पार्क की स्थापना 1972 ई. में की गई है। 1973 ई. में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए टाइगर रिजर्व की स्थापना की गई है। इसी तरह वन संरक्षण के लिए देशभर में 18 जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र की स्थापना की गई है।
✳️भारत का प्रथम जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र 1986 ई. में नीलगिरी (तमिलनाडु) स्थापित की गई है।
✳️वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय परिपाटी सी. आई. टी. ई. एस. (द कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन इनडेजर्ड स्पीशीज ऑफ चाइल्ड फौना एंड फ्लोरा) की प्राणियों और पक्षियों की अनक जातियों की सूची तैयार की है। स्थापना की गई है, जिसने
✳️सामान्य शब्दों में सभी पदार्थ जो खनन द्वारा प्राप्त होते है, खनिज कहलाते हैं। खनिज प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाला पदार्थ है। इसकी निश्चित रासायनिक संरचना होती है।
✳️धात्यिक और अघात्विक खनिज भी दो प्रकार के होते हैं- लौह एवं अलौह।
✳️जिन खनिजों में धातु की मात्रा पाई जाती है, घात्विक खनिज कहते हैं। घात्विक खनिजों में धातु कच्चे रूप में होती है। धातुएँ कठोर पदार्थ हैं, जो विद्युत एवं ऊष्मा का सुचालक है। इसमें चमक होती है। लौह अयस्क, मैगनीज, बॉक्साइट अयस्क इसके उदाहरण है।
✳️जिनु खनिजों में धातु नहीं पाई जाती है, उसे अधात्विक खनिज कहते हैं। चूना पत्थर, अभ्रक, जिप्सम इसके उदाहरण हैं। खनिज ईंधन जैसे कोयला और पेट्रोलियम भी अधात्विक खनिज है। लेकिन इनके जलने से ऊर्जा की प्राप्ति होती है, अतः इसे ऊर्जा खनिज भी कहा जाता है।
✳️पृथ्वी की सतह के अंदर दबी शैलों से खनिजों को बाहर निकालने की प्रक्रिया खनन कहलाती है।
✳️खनिज जो कम गहराई में स्थित है. वे पृथ्वी के ऊपरी स्तर को हटा ककर निकाले जाते हैं, विवृत खनन या खुला खनन कहलाते हैं।
✳️अधिक गहराई में स्थित खनिज निक्षेपों तक पहुँचने के लिए गहन वेधन विधि अपनाई जाती है. इसे कृपकी खनन भी कहते हैं।
✳️पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैरा धरातल के बहुत नीचे पाए जाते हैं। इसे निकालने के लिए गहन कूपी की खुदाई की जाती है इसे प्रवेधन कहते हैं। सतह के निकट स्थित खनिजों को जिस प्रकिया के द्वारा आसानी से खोद कर निकाला जाती है, उस आखनन कहते हैं।
✳️धात्विक खनिज मुख्यतः आग्नेय तथा कायान्तरित शैल समूहों में पाए जाते हैं जबकि अवसादी शैल समूहों में अधात्विक खनिज एवं ईंधन खनिज की प्रधानता पाई जाती है।
✳️विश्व के उन सभी प्रदेशों में जहाँ प्राचीन आग्नेय एवं कायांतरित शैल पाए जाते है यहाँ लोहा तांबा, मैंगनीज जैसे धात्विक खनिज पाए जाते हैं।
✳️दक्षिण भारत में ढक्कन का पठार, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील का पठार, लौह अयस्क उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
✳️एशिया में भारत एवं चीन लौह अयस्क तथा कोयला का प्रमुख उत्पादक देश है।
✳️चीन विश्व का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश है।
✳️भारत विश्व का तीसरा बड़ा कोयला उत्पादक देश है।
✳️लौह अयस्क का भी विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक देश चीन है। भारत का उत्पादन लौह अयस्क में चौथा है।
✳️मैंगनीज, अभ्रक, तांबा यूरेनियम टिन इत्यादि खनिज प्रचुरता में पाए जाते हैं।
✳️यूरोप में यूनाइटेड किंगडम तथा आइबेरियन प्रायद्वीप से लेकर पूर्व में यूराल पर्वत तक खनिज पेटी का विस्तार है।
✳️आइबेरियन प्रायद्वीप दक्षिणी पश्चिमी यूरोप में स्पेन एवं पुर्तगाल में विस्तृत है।
✳️जर्मनी में रूर घाटी कोयला तथा रूस में यूराल पर्वत लौह अयस्क के भंडार एवं उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
✳️उत्तरी अमेरिका में मध्यवर्ती कनाडा से लेकर मेक्सिको तक खनिज पेटी का विस्तार पाया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में अप्लेशियन पर्वत कोयला भंडार एवं उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
✳️ब्राजील के प्राचीनतम पठार एवं एण्डिज वलित पर्वत क्षेत्र दक्षिण अमेरिका के प्रमुख खनिज क्षेत्र हैं। वह लौह अयस्क, मैंगनीज, अभ्रक, खनिज तेल, चाँदी, पोटाश इत्यादि। खनिज का उत्खनन होता है।
🌷ब्राजील विश्व में लौह अयस्क का सबसे बड़ा उत्पादक है। चिली और पेरू तांबा उत्पादन में अग्रणी है।
🌷अफ्रीका हीरा, सोना एवं लेटिनम का विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक है। दक्षिण अफ्रीका का जोहान्सबर्ग इगोली अर्थात् सिटी ऑफ गोल्ड के नाम से जाना जाता है।
🌷जायरे, जिम्बाब्बे हीरा का बड़ा उत्पादक देश हैं। दक्षिण अफ्रीका का किम्बरले हीरा उत्पादन के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
🌷ऑस्ट्रेलिया, बॉक्साइट, सोना, हीरा, लौह अयस्क, टिन, यूरेनियम एवं निकेल का बड़ा उत्पादक देश है। यह विश्व का सबसे बड़ा बॉक्साइट उत्पादक देश है।
🌷बॉक्साइट से एल्युमिनियम की प्राप्ति होती है। पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के कालगूर्ली एवं कूलेगार्डी क्षेत्र सोने के उत्पादन के लिए जाने जाते हैं।
🌷अंटार्कटिका को विज्ञान के प्रति समर्पित महाद्वीप कहा जाता है।
🌷यहीं ट्रांस-अंटार्कटिक पर्वत में कोयले एवं पूर्वी अंटार्कटिका के प्रिंस चार्ल्स पर्वत के निकट लोहे के निक्षेप का पूर्वानुमान लगाया गया है।
🌷लोहा - भारत का 25 प्रतिशत अयस्क झारखंड में संचित है। झारखंड में लोहा अयस्क पश्चिमी सिंहभूम जिले में पाया जाता है.
🌷गुवा नोवामुंडी जामदा, किरीबुरू प्रमुख खनन केन्द्र है
🌷यहां से प्राप्त लौह अयस्क का उपयोग जमशेदपुर, बोकारो, दुर्गापुर के इस्पात कारखानों में किया जाता है।
🌷बाॅक्साइट - झारखंड में गुमला, लातेहार तथा लोहरदगा बॉक्साइट उत्पादन में उग्रणी जिला है। प्रमुख बॉक्साइट खनन केन्द्र पावर औरसापाट, बांगरू सेरेगदाग आदि हैं।
🌷झारखंड में अभरक का उत्पादन मुख्य रूप से कोडरमा, गिरिडीह एवं हजारीबाग जिले में होता है। यहां उच्च किस्म का रूबी अभ्रक का उत्पादन होता है।
🌷विद्युत का कुचालक होने के कारण इसका उपयोग विद्युत उपकरण बनाने में किया जाता है।
🌷तौबा - झारखंड में तींचे का खनन मुख्य रूप से मुसाबनी,सरायकेला, राखा घाटशिला एवं बहरागोड़ा में होता है।
🌷मैंगनीज झारखंड में मैगनीज का खनन मुख्य रूप से गुवा, बड़ा जामदा एवं नोवामुंडी में होता है।
🌷सोना - झारखंड में स्वर्णरेखा नदी के रेत में अल्प मात्रा में सोना पाया जाता है।
🌷चुना पत्थर झारखंड में चुन पत्थर का उत्खनन पलामू एवं रामगढ़ जिले में होता है। इसका उपयोग सीमेंट तथा लोहा बनाने में किया जाता है
🌷तांबा ऐसा धातु है, जिसका उपयोग सिक्के से लेकर पाइप तक बनाने में किया जाता है। एल्युमिनियम बॉक्साइट से प्राप्त किया जाता है, जिसका उपयोग बर्तन बनाने से लेकर भवन निर्माण, ऑटोमोबाइल एवं हवाई जहाज बनाने तक में होता है।
🌷खनिज अनवीकरणीय संसाधन है।
🌷शक्ति अथवा ऊर्जा हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किसी कार्य को करने की क्षमता ऊर्जा कहलाती है।
🌷ग्रामीण भारत में पचास प्रतिशत से अधिक ऊर्जा की प्राप्ति लकड़ी (जलावन) से होती है। जीवाश्म इंधन जैसे कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस परंपरागत ऊर्जा के प्रमुख स्रोत है।
🌷कोयला कोयला को उद्योग की जननी कहा गया है। पाँच दशक पूर्व विश्व के कुल औद्योगिक ऊर्जा का 90 प्रतिशत कोयले से ही प्राप्त होता था।
🌷कोयला अवसादी चट्टान में पाये जाने वाला ठोस, आकार विहीन भूरे रंग का पदार्थ है. जिसकी उत्पत्ति करोड़ों वर्ष पूर्व वन क्षेत्रों के दबने एवं कार्बनीकरण प्रकिया के द्वारा हुआ है।
🌷कार्बन के मात्रा के आधार पर कोयला चार प्रकार का होता है- एन्थ्रासाइट, बिटुमिनस, लिग्नाइट एवं पीट।
🌷एन्थ्रासाइट उच्च किस्म का कोयला होता है।
🌷विश्व में अग्रणी कोयला उत्पादक देशों में चीन संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, रूस, जर्मनी है।
🌷भारत में कुल कोयला का 98 प्रतिशत गोंडवाना कोयला पाया जाता है।
🌷कोयला उत्पादक क्षेत्र पश्चिम बंगाल में रानीगंज तथा झारखंड में झरिया धनबाद, बोकारो, हजारीबाग, चतरा गिरिडीह प्रमुख है।
🌷तमिलनाडु के न्यूवेली में लिग्नाईट किस्म का कोयला पाया जाता है।
🌷 झारखंड भारत का छत्तीसगढ़ के बाद दूसरा बड़ा कोयला उत्पादक राज्य है। यहाँ बिटुमिनस किस्म का कोयला दामोदर नदी घाटी में संचित है।
🌷झारखंड में पहली बार कोयला का उत्खनन 1894 ई. में झरिया (धनबाद) में प्रारंभ हुआ था।
🌷पेट्रोलियम ऊर्जा के प्रमुख स्रोतों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण संसाधन है। यह कोयला प्रमुख की अपेक्षा अधिक ऊष्मा देने वाला एवं हल्का पदार्थ है।
🌷पेट्रोलियम अवसादी शैलों के छिद्रों से प्राप्त होता है। यह शैलों की परतों के मध्य परतों के करा पाया जाता है।
🌷पेट्रोलियम और इससे बने उत्पादों को काला सोना कहा जाता है क्योंकि ये बहुत मूल्यवान है।
🌷भारत में मुख्य उत्पादक क्षेत्र असम में दिगबोई बॉम्बे हाई. गुजरात में खंभात की खाड़ी एवं पूर्वी तट पर कृष्णा और गोदावरी नदियों का डेल्टाई प्रदेश है।
🌷प्राकृतिक गैस पेट्रोलियम के साथ मिलता है। यह हाइड्रोकार्बन तत्वों का मिश्रण होता है। कोयला एवं पेट्रोलियम की अपेक्षा इसका उत्पादन आसान और कम खर्चीला है।
🌷विश्व में प्रथम तेल कुआं 1859 ई. में पेंसिलवेनिया (संयुक्त राज्य अमेरिका) में खोदा गया था।
🌷भारत में प्रथम तेल कुआं 1890 ई. में असम के डिगबोई में खोदा गया था ।
🌷झारखंड में जल विद्युत उत्पादन का प्रारंभ दामोदर नदी घाटी निगम परियोजना की स्थापना से हुआ है। इस परियोजना का निर्माण 1948 ई. में किया गया है।
🌷विश्व का प्रथम जल विद्युत केंद्र 1878 ई. में ब्रिटेन में स्थापित किया गया था। विश्व में जल विद्युत की सर्वाधिक स्थापित क्षमता चीन में हैं।
🌷भारत में प्रथम जल विद्युत केंद्र कर्नाटक में शरबती नदी पर स्थापित किया गया था।
🌷राजस्थान के बाडला, आंध्रप्रदेश के कुरनूल, गुजरात के चारंका तथा महाराष्ट्र के संकरी में सौर ऊर्जा प्लाट स्थापित किए है। सौर ऊर्जा का उपयोग सौर-कुकर सौर-तापक, सोलर ड्रायर, सोलर लाइट यातायात संकेतों में भी होता है।
🌷पवन ऊर्जा का एक अक्षय अथवा अनवीकरणीय स्रोत है। जिन क्षेत्रों में पवन प्रबल एवं लगातार चलती रहती है पवन चक्की लगा कर ऊर्जा उत्पादित की जाती है।
🌷नीदरलैंड, जर्मनी डेनमार्क यू, के. यू. एस. ए. स्पेन में पवन फॉर्म अधिक संख्या में पाए जाते हैं। ये सभी देश पवन ऊर्जा उत्पादन में उल्लेखनीय है। वर्तमान में चीन विश्व का सबसे बड़ा पवन ऊर्जा उत्पादक देश है।
🌷परमाणु ऊर्जा वह ऊर्जा है, जो अणु के नाभिक में निहित होती है। इस संसार में कुछ ऐसे धातु है.
🌷जिसके नाभिक में असीम शक्ति छिपी रहती है जैसे यूरेनियम, थोरियम इत्यादि। इन पदार्थों के विखण्डन से नाभिकीय ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
🌷भारत में राजस्थान और झारखंड में यूरेनियम के विशाल निक्षेप हैं।
🌷झारखंड में पूर्वी सिंहभूम स्थित जादूगोड़ा में यूरेनियम का भंडार पाया जाता है। भारत का प्रथम परमाणु ऊर्जा केंद्र (रिएक्टर) तारापुर महाराष्ट्र में 1969 ई. में स्थापित किया गया।
🌷ताप ऊर्जा जो पृथ्वी से प्राप्त की जाती है, भूतापीय ऊर्जा कहलाती हैव।
🌷संयुका राज्य अमेरिका चीन, जापान यूजीलैंड, आइसलैंड और फिलिपीन्स में विश्व के बड़े भू-तापीय ऊर्जा सयत्र स्थित है।
🌷भारत में भू-तापीय ऊर्जा के सयंत्र हिमाचल प्रदेश के मणीकरण लद्दाख (जम्मू-कश्मीर) के पूगा छत्तीसगढ़ के तातापानी में स्थित है।
🌷ज्वारीय ऊर्जा भी विद्युत उत्पादन का स्रोत है। इसमें उधर भाटा की ऊर्जा को बिजली में बदला जाता बायोगैस में मुख्यतः मिथेन (75%) और कार्बनडाइऑक्साइड गैस होती है।
🌷बायोगैस ऊर्जा संकट से निपटने का एक महत्वपूर्ण संसाधन है।
🌷मनुष्य की जिन कियाओं से आय बढ़ती है और आर्थिक उन्नति होती है उन्हें आर्थिक क्रियाएँ कहते हैं।
🌷कृषि, खनन्, मछली पालन, पशुपालन इसके उदाहरण हैं।
🌷द्वितीयक कियाओं में मुख्यत प्राथमिक कियाओं से जाता है। प्राप्त सामग्री को निर्मित वस्तुओं में परिवर्तित किया जाता है।
🌷तृतीयक कियाओं में ऐसी कियाओं को शामिल किया जाता है जो प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्र को सेवा कार्यों द्वारा सहयोग प्रदान करती है।
🌷आर्थिक कारक में प्रमुख है पूजी, आधुनिक तकनीक, उर्वरक, उन्नत बीज आदि। ऐसी मूनि जिस पर
🌷कृषि कार्य किया जा सकता है, कृषि योग्य या कृक्षिगत भूमि कहलाती है। कृषि अंग्रेजी के Agriculture का पर्यायवाची है। Ager का अर्थ है- भूमि या खेत। Culture का अर्थ है- जुताई करना। C भौगोलिक दशाओं, उत्पाद की मांग, श्रम और प्रौद्योगिकी की उपलब्धता पर निर्भर करती है।
🌷कृषि का ऐसा तरीका जिसमें किसान मुख्यत, अपने परिवार की आवश्यकता हेतु कृषि कार्य करता है। निर्वाह कृषि कहलाता है।
🌷आदिम जीवन निर्वाह कृषि यह कृषि का सबसे प्राचीन तरीका है। इसके अंतर्गत स्थानांतरी कृषि एवं चलवासी पशुचारण सम्मिलित है।
🌷स्थानांतरित कृषि विश्व के विभिन्न भागों में विभिन्न नामों से जानी जाती है -
झूम- उत्तर पूर्वी भारत
लवांग - मलेशिया,
रोका - ब्राजील -
मिल्या - मैक्सिको
मसोले - मध्य अफ्रीका,
चेनो - श्रीलंका
दीपा - छत्तीसगढ़
🌷वणिज्यिक कृषि में फसल उत्पादन एवं पशुपालन मुख्यतः आर्थिक लाभ के लिए किया जाता है। कृषि लिए किया जाता है।
🌷इसमें कृषि कार्य वाणिज्यिक उददेश्य से किया जाता है।
🌷फसल उत्पादन के साथ-साथ पशुपालन कार्य करना मिश्रित कृषि कहलाता है।
🌷रोपण कृषि की कृषि में रबर, कहवा, कोकोवा, चाय, मसाले, नारियल की एकल फसल उगाई जाती है।
🌷इसमें वृहत् पैमाने पर श्रम एवं पूंजी की आवश्यकता होती है।
🌷ब्राजील विश्व का सबसे बड़ा कहवा उत्पादक देश है। यहाँ कहवा के बड़े बागान को फजेण्डा कहा जाता है। भारत में चाय, नारियल तथा कहवा की खेती की जाती है।
🌷भारत में दार्जिलिंग तथा नीलगिरी चाय उत्पादन के लिए तथा चिकमंगलूर कहवा उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
🌷खरीफ फसल जून-जुलाई में बोया जाता है तथा अक्टूबर-नवंबर में काटा जाता है।
🌷धान, मक्का, कपास, मूँगफली प्रमुख फसल है। रवी फसल नवंबर-दिसंबर में बोया जाता है तथा मार्च-अप्रैल में काटा जाता है। गेहूँ, जौ, चना, सरसो आलू प्रमुख रबी फसल है।
🌷मटर आत असबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है। इसके बाद कमरा, भारत, जापान श्रीलंका गिद्य है।
🌷छत्तीसगढ़ को भारत का चावल का कटोरा कहते हैं।
🌷मक्का चावल के बाद झारखंड का दूसरा प्रमुख खाद्य फसल है। विश्व की दूसरी प्रमुख खाद्य फसल गेहूँ है। इसका उत्पादन मुख्य रूप से शीतोष्ण कटिबंधीय प्रदेशी में होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, अर्जेंटीना, रूस, यूक्रेन, ऑस्ट्रेलिया प्रसिद्ध है। घास मदान गह के लिए के शीतोष्ण घास चावल के बाद गेहूँ भारत का दूसरा प्रमुख खाद्य फसल है। मिलेट को मोटा अनाज भी कहते हैं।
🌷इसके अंतर्गत मुख्य रूप से ज्यार, बाजरा और रागी को शामिल किया जाता है। मक्का का मूल स्थान मैक्सिको है यह मुख्यत उपोष्ण कटिबंध का पौधा है।
🌷रेशे वाली फसल में कपास का स्थान सर्वप्रमुख है भारत को कपास का जन्मदाता कहा जाता है। कयास एक नकदी फसल है।
🌷विश्व में कपास का प्रमुख उत्पादक देश संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, भारत, पाकिस्तान, ब्राजील, मिस है।
🌷पटसन को बंगाल का सुनहरा रेशा भी कहते हैं।
🌷विश्व मे भारत और बांग्लादेश जूट के मुख्य उत्पादक देश है।
🌷कॉफी रोपण कृषि की फसल है चाय के बाद यह विश्व का दूसरा प्रमुख पेय फसल है। यह उष्ण
🌷जलवायु में उगाया जाने वाला फसल है।
🌷ब्राजील को विश्व को कॉफी का कटोरा कहा जाता है। विश्व में चाय का प्रमुख उत्पाद देश चीन, भारत, श्रीलंका, कीनिया, तुर्की, इंडोनेशिया, वियतनाम, म्यनमार, बांग्लादेश है। भारत में चाय का सर्वाधिक उत्पादन असम में होता है।
🌷चाय की शुरुआत चीन से हुई।
🌷प्राथमिक किया से प्राप्त कच्चे माल से निर्मित वस्तुओं के उत्पादन को ही द्वितीयक किया कहते हैं।
🌷उद्योग के वर्गीकरण के तीन आधार है कच्चा माल, आकार और स्वामित्व।
🌷चीनी उद्योग, सूती वस्त्र उद्योग, डेयरी उद्योग, चर्म उद्योग कृषि आधारित उद्योग के उदाहरण हैं।
🌷इनको प्राथमिक उद्योग भी कहा जाता है, ये खनिज अयस्कों का उपयोग कच्चे माल के रूप में करते है।
🌷तकनीक आधारित उद्योग - इस प्रकार के उद्योगों में तकनीक की प्रधानता रहती है। मोबाइल, उद्योग, कम्प्यूटर निर्माण उद्योग इसके उदाहरण हो सकते हैं।
🌷कच्चे माल की उपलब्धता, भूमि जल, अम पूँजी की उपलब्धता शक्ति के साधन, संचार, परिवहन और
🌷बाजार उद्योग स्थापना के प्रमुख कारक है। उमरते हुए उद्योग सनराइज उद्योग के नाम से जाने जाते हैं।
🌷छोटानागपुर औद्योगिक प्रदेश झारखंड राज्य में विस्तृत है। इस औद्योगिक प्रदेश के विकास का आधार खनिज पदार्थों की उपलब्धता है।
🌷हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एच ई. सी.) हटिया झारखंड की राजधानी रांची में भारत सरकार द्वारा 1958 ई. में इस संयंत्र की स्थापना की गई है। इसकी स्थापना रूस एवं चेकोस्लोवाकिया के सहयोग से किया गया है।
🌷इंडियन कॉपर कॉरपोरेशन, घाटशिला इसकी स्थापना 1924 ई. में घाटशिला, पूर्वी सिंहभूम में की गई है। यह भारत का प्रथम ताबा उत्पादक कारखाना है।
🌷हिन्दुस्तान अल्मुनियम कंपनी (हिंडालको) मुरी इसकी स्थापना इंडियन एल्युमिनियम कंपनी के नाम से 1938 ई. में की गई है। यह रांची जिला के मुरी में स्थित है। यह भारत का दूसरा पुराना एल्मुनियम कारखाना है सन 1907 ई. में जमशेदजी टाटा के द्वारा स्वर्णरेखा और खरकई नदियों के संगम पर साकची नाम स्थान पर आधुनिक लोहा इस्पात उद्योग की स्थापना की गयी।
🌷जमशेदपुर में लोहा इस्पात उद्योग की स्थापना के लिए आदर्श भौगोलिक कारक उपलब्ध हैं।
🌷उच्च कोटि का लौह अयस्क झारखंड के सिंहभूम तथा ओडिशा के मयूरगंज जिलों से प्राप्त होता है। कोकिंग कोयला झरिया तथा रानीगंज से प्राप्त होता है चूना पत्थर ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले से तथा पानी स्वर्णरेखा और खरकई नदियों से प्राप्त होता है।
🌷यह संयुक्त राज्य अमेरिका का सबसे प्रमुख इस्पात केन्द्र है। इसे विश्व की इस्पात राजधानी भी कहा जाता है। रेशा दो प्रकार का होता है प्राकृतिक एवं कृत्रिम रेशे।
🌷18वीं शताब्दी में औद्योगिक कांति के पूर्व तक सूती वस्त्र हस्तकताई एवं हथकरघों से पूरे विश्व में तेजी से विकास हुआ। विद्युत से चलने वाले करघों को पावरलूम कहते हैं।
🌷भारत में सूतींवस्त्र की पहली यांत्रिक मिल 1854 ई. में मुंबई में स्थापित की गई थी।
🌷कपास एक शुद्ध पदार्थ है, जिसका वजन वस्त्र निर्माण की प्रकिया में कम नहीं होता, इसलिए इसे वजन सम उद्योग भी कहते हैं।
🌷भारत में अहमदाबाद, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, कानपुर, लुधियाना, पानीपत, पुडुचेरी सूती वस्त्र उत्पादन के मुख्य केन्द्र है।
🌷गुजरात राज्य में सूती वस्त्र उत्पादन का सबसे बड़ा केन्द्र अहमदाबाद है। इसे भारत का मैनचेस्टर कहा जाता है।
🌷ओसाका जापान का एक महत्वपूर्ण वस्त्र निर्माण केन्द्र है। इसे जापान का मेनचेस्टर के नाम से भी जानते हैं।
🌷सूती वस्त्र उद्योग कच्चे माल के लिए पूर्णतः आयात पर निर्भर है।
🌷मानव और पर्यावरण के बीच अन्योन्यश्रिता संबंध है।
🌷प्राकृतिक तत्व में वर्षा, तापमान, प्राकृतिक वनस्पति, उच्चावच तथा मानवीय तत्व में भाषा, खान-पान, आस्था, वस्त्र, इत्यादि को सम्मिलित किया जाता है।
🌷मानव की मूल आवश्यकताएँ - भोजन वस्त्र एवं आवास, पर्यावरण से प्रभावित होती है।
🌿 ऐसे पर्यावण जिसके अंतर्गत प्राकृतिक एवं मानवीय तत्वों की समानता पाई जाती है. प्राकृतिक प्रदेश कहलाते हैं।
🌿अमेजन बेसिन का विस्तार दक्षिण अमेरिका के भूमध्यरेखीय प्रदेश में पाया जाता है।
🌿भूमध्य रेखा के 10° उत्तर 10° दक्षिण के बीच के भाग को भूमध्यरेखीय प्रदेश कहते हैं।
🌿अमेजन विश्व की दूसरी सबसे लंबी नदी है। इसकी लंबाई 6400 कि.मी है। सिनकोना वृक्ष की छाल से मलेरिया की दया क्वीनीन बनती है तथा बालसा वृक्ष की लकड़ियों खिलर और नाव बनाने के काम आती हैं।
🌿साबूदाना टेपियोका स्टार्च से ही बनाया जाता है।
🌿कृषि के लिए ये प्राचीन पद्धति कर्तन एवं दहन कृषि कर्तन का अर्थ है काटना और दहन का अर्थ है जलाना या स्थानान्तरित कृषि का अपनात है।
🌿ब्राजील में स्थानांतरित कृषि को रोक्का कहते हैं। एक सींग वाला गैंडा ब्रह्मपुत्र के मैदान में पाया जाता है। डेल्टा घड़ियाल पाये जाते हैं। क्षेत्र में बंगाल टाईगर, मगरमच्छ और
🌿झारखंड में जमशेदपुर, बोकारो, धनबाद जैसे बड़े नगरों का विकास खनन एवं उद्योग की स्थापना के
🌿जमदादपुर एवं बोकारो में बड़े इस्पात कारखाने स्थापित है। जबकि धनबाद में कोयला खनन के कारण रोजगार, व्यापार-वाणिज्य का विकास हुआ है।
🌿राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या - 44 भारत का सबसे लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग है। यह श्रीनगर से कन्याकुमारी (तमिलनाडु) को जोड़ती है। इसी तरह आरखंड से गुजरने वाली सबसे प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या- 2 है।
🌿भारत में रेल की तीन गेज है -
(1) बड़ी लाइन अथवा चौड़ी गेज 1.676 मीटर चौड़ी
(2) मध्यम लाइन अथवा मीटर गेज - 1,0 मीटर चौड़ी
(3) छोटी लाइन अथवा सकरी गेज - 0.61 मीटर चौड़ी
🌷वैसे पौधे जो प्रकृति के प्रभाव से पनपते एवं बढ़ते हैं उसे प्राकृतिक वनस्पति कहते हैं।
🌷पेड़-पौधों पर सभी प्रकार के जीव-जन्तु निर्भर होते हैं, क्योंकि पौधे ही सौर ऊर्जा को खाद्य ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं। इसलिए पेड़-पौधे प्रारंभिक कार्यों द्वारा सहयोग प्रदान करती है। कहलाते हैं। • वन जिसे हरा सोना के नाम से भी जाना जाता है. प्रकृति की एक मूल्यवान देन है।
🌷पर्णपाती - पर्ण का अर्थ होता है पत्ता और पाती का अर्थ होता है गिरना अर्थात् पत्ते का गिरना जिसे पतझड़ भी कहते हैं।
🌷पृथ्वी पर उपस्थित जल का प्रवाह महासागर, वायुमंडल एवं स्थल के बीच लगातार होता रहता है। इसे ही चक कहते हैं।
🌷पृथ्वी पर जो जल आज से हजारों वर्ष पूर्व उपस्थित था वही जल आज भी है। सिर्फ इसका चकण होता रहता है।
🌷पृथ्वी पर उपलब्ध जल की कुल मात्रा का लगभग 2.7 प्रतिशत स्वच्छ जल के रूप में है। • जल का 97.3 प्रतिशत भाग लवणीय जल के रूप में महासागरों में है।
🌷अंग्रेजी का शब्द TSUNAMI जापानी भाषा के दो शब्दों TSU (सु) और NAMI (नामी) से मिलकर बना है। सुनामी का अर्थ होता है समुद्र तट की और आती हुई लहरें। अब तक की सबसे विशाल सुनामी तरंग 150 मीटर ऊँची मापी गयी है।
🌷महासागरीय जल का ऊपर उठना और गिरना ज्वार भाटा कहलाता है
🌷जब सागरीय जल ऊपर उठकर तट की ओर आगे बढ़ता है तो उसे ज्यार कहते है तथा सागरीय जल के नीचे गिरने और तट से दूर जाने को भाटा कहते हैं।
🌷नाइट्रोजन गैस 78%, ऑक्सीजन गैस 21%, कार्बन डाईऑक्साइड गैस 0.03% आर्गन गैस 0.93% आदि गैसों के अलावा जलवाष्प एवं धूल कण भी मौजूद है।
🌷हरे पादप अपने भोजन के रूप में कार्बन डाईऑक्साइड का प्रयोग करते हैं।
🌷धरातल से ऊपर जाने के कम में प्रति एक हजार मीटर पर 65°C की दर से तापमान कम होता जाता है। इसे सामान्य ताप हास दर कहते हैं
🌷मौसम की प्राय सभी घटनाएँ कुहरा, बादल, ओला, तुषार आँधी-तूफान, मेघ आदि इसी भाग में घटित होती है। क्षोभ मंडल के गर्म और शीतल होने का कार्य विकिरण संचालन तथा संवहन द्वारा होता है।
🌷क्षोभमंडल में हर 165 मीटर ऊँचाई पर तापमान १°℃ कम होता जाता है। कोई भी वस्तु निश्चित तापमान पर अनेक प्रकार की ऊरमा तरंगें प्रसारित करती है, जिसे विकिरण कहते हैं।
🌷क्षोभमंडल के ऊपर का भाग समताप मंडल कहलाता है। इसकी ऊंचाई 50 किमी तक है। इस मंडल में मौसमी घटनाएं नहीं होती है यह हवाई जहाज उड़ाने के लिए उत्तम माना गया है।
🌷सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों व हानिकारक गैसों से यहाँ ओजोन गैस की परत होती है जो सूर्य से आने हमारी रक्षा करती है।
🌷मौसम्, वायुमंडल की प्रत्येक घंटे यो दिन-प्रतिदिन की स्थिति होती का औसत मौसम, उस स्थान का जलवायु बताता है। है. वहीं दीर्घकाल में किसी स्थान मौसम त के आध्ययन को Meteorology कहते हैं और जलवायु के अध्ययन को Climatology कहते तापमान को मापने की मानक इकाई डिग्री सेल्सियस है। इसका आविष्कार ऍडर्स सेल्सियस । मापने साना ने किया था। सेल्सियस पैमाने पर जल ०° सेल्सियस पर जमता है एवं 100° सेल्सियस पर उबलता है।
🌷भूगर्भ से एक पतली नली से होता है, जिसे ज्वालामुखी नली कहते हैं।
🌷जब बैंसाव या अन्य कारण से ज्वालामुखी के मुख का विस्तार अत्यधिक हो जाता है तो उसे काल्डेरा कहते हैं।
🌷स्ट्रॉगबोली ज्वालामुखी को भूमध्य सागर का प्रकाश स्तंभ कहते हैं। कोटोपैक्सि विश्व का सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित जाग्रत ज्वालामुखी है।
🌷राजमहल की पहाड़ी झारखंड के साहेबगंज जिला (संताल परगना) में स्थित है।
🌷धरातल के नीचे का वह स्थान जहां कंपन की घटना आरंभ होती है, उदगम केंद्र या फोकस कहलाता है।
🌷उद्गम केंद्र के ठीक ऊपर सतह पर जहाँ भूकंप का अनुभव सर्वप्रथम होता है अधिकेंद्र कहलाता है।
🌷विज्ञान की वह शाखा जिसमें भूकंपों का अध्ययन किया जाता है सिस्मोलॉजी कहलाता है।
🌷भूकंप की तीव्रता को मापने के यंत्र का नाम भूकंपलेखी है।
🌷 भूकंप की तीव्रता का मापन रिक्टर स्केल पर होता है।
🌷विश्व का भूकंप प्रभावित प्रमुख क्षेत्र प्रशांत महासागर के चारों ओर का क्षेत्र तथा मध्य महाद्वीपीय पर्वत श्रृंखला क्षेत्र है।
🌷प्रशांत परिमेखला को ज्वालामुखी एवं भूकंप की अधिकता के कारण अग्निमेखला भी कहा जाता है
🌷इस क्षेत्र में जापान, इण्डोनेशिया, चीली आदि प्रमुख भूकंप प्रभावित देश है।
🌷अवसादी चट्टानों में जीवाश्मों में भी पाये जाते हैं।
🌷जब आग्नेय एवं अवसादी चट्टान उच्च ताप एवं दबाव के कारण मूल स्वरूप से परिवर्तित हो जाता है तो उसे कायांतरित चट्टान कहते हैं। DEMY
🌷चढ़ान की परतों में दबे मृत पौधों एवं जन्तुओं के अवशेषों को जीवाश्म कहते हैं।
🌷लालकिला बलुआ पत्थर (अवसादी चट्टान) से बना है।
🌷ताजमहल संगमरमर (कायांतरित चट्टान) से बना है।
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