एडम स्मिथ (5 जून 1723 से 17 जुलाई 1790) एक ब्रिटिश नीतिवेत्ता, दार्शनिक और राजनैतिक अर्थशास्त्री थे। उन्हें अर्थशास्त्र का पितामह भी कहा जाता है। आधुनिक अर्थशास्त्र के निर्माताओं में एडम स्मिथ का नाम सबसे पहले आता है
स्मिथ, जिन्हें "आधुनिक अर्थशास्त्र के पिता" के रूप में जाना जाता है, ने अपनी पुस्तक "द वेल्थ ऑफ नेशंस" में "अदृश्य हाथ" सिद्धांत का प्रतिपादन किया। इस सिद्धांत के अनुसार, बाजार में प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वयं के स्वार्थ को साधने के लिए प्रयास करता है, लेकिन इस प्रक्रिया में वह समाज के लिए भी लाभकारी कार्य करता है।
स्मिथ के अनुसार, जब प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वयं के स्वार्थ को साधने के लिए प्रयास करता है, तो वह बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है। यह प्रतिस्पर्धा उत्पादकों को अधिक कुशल बनने के लिए प्रेरित करती है, जिससे उत्पादों की कीमतें कम होती हैं और गुणवत्ता में सुधार होता है। साथ ही, यह उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प प्रदान करती है, जिससे वे अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओं को बेहतर ढंग से पूरा कर सकते हैं।
अदृश्य हाथ के सिद्धांत की उपयोगिता निम्नलिखित है:
- यह आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है। अदृश्य हाथ के सिद्धांत के अनुसार, व्यक्तिगत उद्यमी मुनाफा कमाने के लिए नई तकनीकों और उत्पादों का विकास करते हैं। इससे आर्थिक विकास होता है।
- यह उपभोक्ताओं को बेहतर उत्पाद और सेवाएं प्रदान करता है। प्रतिस्पर्धा के कारण, व्यवसाय बेहतर उत्पाद और सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। इससे उपभोक्ताओं को लाभ होता है।
- यह मूल्य निर्धारण को प्रभावी बनाता है। बाजार में, मांग और पूर्ति के आधार पर वस्तुओं और सेवाओं की कीमत निर्धारित होती है। यह मूल्य निर्धारण प्रणाली प्रभावी होती है क्योंकि यह वस्तुओं और सेवाओं की वास्तविक लागत को प्रतिबिंबित करती है।
अदृश्य हाथ के सिद्धांत की कुछ सीमाएं भी हैं:
- यह सिद्धांत सभी परिस्थितियों में लागू नहीं होता है। उदाहरण के लिए, अत्यधिक प्रदूषण या सामाजिक असमानता जैसी समस्याओं को अदृश्य हाथ के सिद्धांत से हल नहीं किया जा सकता है।
- यह सिद्धांत व्यक्तिगत स्वतंत्रता को कम कर सकता है। अदृश्य हाथ के सिद्धांत के अनुसार, सरकार को आर्थिक गतिविधियों में कम हस्तक्षेप करना चाहिए। इससे व्यक्तिगत स्वतंत्रता कम हो सकती है।
अदृश्य हाथ एक महत्वपूर्ण आर्थिक सिद्धांत है जो आर्थिक विकास और कल्याण को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। हालांकि, इस सिद्धांत की कुछ सीमाएं भी हैं जिनका ध्यान रखना चाहिए।